Mai khud ko badal rha hun
CommunityJun 06, 2021
मैं खुद को बदल रहा हूं /Mai khud ko badal rha hun.
मै मुसलमान हूं मैं अनपढ़ सिर्फ दो वजह से हूं एक माँ बाप की मजबूरी और दूसरा क़ौम के जिम्मेदारों की लापरवाही मेरे माँ बाप मजबूर थे उनके पास मुझे बेहतर तालीम देने के लिए पैसे नही थे मगर मेरी क़ौम मजबूर नही थी लेकिन मै इनको जिम्मेदार क्यों मानता हूं इसने ज्यादा जिम्मेदार तो में खुद हूं मैने भी खुद नही चाहा मै भी पढ़ लिख लू । मुआशरे मै बैठने के काबिल बन जाऊ लेकिन मैंने चाहा है चाय की टपरियों को मैने चाहा आवारा गलियों को मैने चाहा है चोराहों की रौनको को मेरी पढ़ाई के लिए हमेशा पैसो की तंगी रही है लेकिन मैंने देखा है लाखों रुपए के लंगर कराते हुए मैने देखा है लाखों रुपए कव्वाली और मुशायरों में फ़ुज़ूल खर्च करते हुए मैने देखा है मुजरे में पैसा लुटाने वालो को देखा नही तो कभी तालीमी हिदारा नही देखा देखा नही तो अपने अंदर पढ़ने लिखने आगे बढ़ने का जज़्बा नही देखा ।आज मुआशरे मै मेरी कितनी इज़्ज़त है मुझे पता है हुकूमत मै बैठे हुए लोग मुझे किस नज़र से देखते है वो भी मुझे पता है क्योंकि इसका जिम्मेदार मै खुद हूं क्यों मै किसी से शिकायत करू लेकिन वक़्त के साथ साथ मै बदल रहा हूं ।क्योंकि मै अब तब्दीली ला रहा हूं जो बीत गया वो मेरा माज़ी था ।लेकिन मै अपनी आने वाली नस्लो के बेहतर मुस्तक़बिल के लिए अंधेरे से निकल रहा हूं अब मै अपने हक़ की आवाज़ उठाने वाला बन रहा हूं अब मै अब्दुल कलाम का ख़्वाब बन रहा हूं इससे पहले मेरा मजीद इस्तेमाल हो इसलिए मै खुद को बदल रहा हूं ।
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I am a Muslim, I am illiterate for only two reasons. One is the helplessness of the parents and the negligence of the responsibilities of the demos. My parents were forced to have no money to give me a better training, but my labor was not compelled but why do I consider them responsible? I am more responsible if I am myself, I did not even want to read and write. I will be able to sit in the chair but I have wanted the tea tapes, I have wanted the stray alleys, I have always wanted the money of the thieves for my studies, but I have seen the anchor of millions of rupees. I have seen spending millions of rupees in Qawwali and Mushayars, I have not seen anyone who looted money in Mujre, I have never seen Talimi Hidara, I have not seen the spirit of going ahead in my reading and writing. Today I know how much I respect I know how the people sitting in the government look at me, because I am responsible for it, why should I complain to anyone but I am changing with the times. Because I am bringing change that has passed My wish was there. I am changing.
Write by zishan alam
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