zishan alam
RelationshipsJun 19, 2021
आईने के सामने/Aaine ke samne
मै तो तुम्हें सोचकर लिखता हूं
तुम्हे महसूस कर कर जीता हूं
तुम बताओ वो कौन सी वजह है जिसने तुम्हे मेर करीब आने से रोका है
कभी तुम भी मुझे सोच कर देखो
अपनी तन्हायों में मुझे बुला कर देखो
मासूम लबों की मुस्कुराहट मुझे बना कर देखो
रोक नही पाओगें खुद को बस एक बार मुझे जी कर देखो
कभी आईने के सामने खड़े होना
मुझे सोचकर खुद को सवारना
अपने होठों से नाम मेरा गुनगुनाना
तुम भी मेरे इश्क़ में दीवानी नाकहलाओगी तो
मुझ से कहना कभी आईने क सामने खड़े होना |
I write you thinkingI live feeling youtell me what is the reasonwho has stopped you from coming close to me
you ever think of mecall me in your solitudeMake me smile at the innocent lipscan't stop myselflive me just once
ever stand in front of a mirrorride myself thinking of mehumming my name with your lipsYou are also crazy in my lovetell me if you saySometimes standing in front of the mirror.
Write by zishan alam
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